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जिंदगी का दूसरा नाम चुनौती ही है।
जीवन एक संघर्ष है। जीवन में इंसान को अपनी राह स्वयं बनानी पड़ती है। कुछ लोगों को अपनी मंज़िल जल्दी मिल जाती है वहीं कुछ लोगों को बहुत मेहनत करने के बाद भी अपनी मंज़िल नहीं मिल पाती। कुछ कमियाँ रह ही जाती है।
पर, यही तो ज़िंदगी है। और जिंदगी का मतलब है हमेशा आगे बढ़ते रहना।
कोरोना महामारी ने हम सभी को यह तो समझा ही दिया है कि ज़िंदगी अप्रत्याशित है। कभी भी कुछ भी हो सकता है। इसलिए जिंदगी को कभी हल्के में ना लें। हमें अपना स्वयं का ध्यान रखने की बहुत आवश्यकता है। हम सभी जानते है कि बीते तीन साल से पूरे विश्व में कोरोना महामारी फैली हुई थी। हालांकि, कहा जा रहा है कि इस महामारी का असर अब तक है, पर अब काफी हद तक स्थिति सम्भल चुकी है। साथ ही, कोरोना काल के बाद, सभी के लिए जीवन बदल चुका है और कुछ नई चुनौतियाँ भी सामने आई हैं।
जीवन में चुनौतियाँ तो आती ही रहती हैं। कोरोना की वजह से कई ऐसे बदलाव भी आए जो शायद कभी किसी ने नहीं सोचे होंगे। चाहे वो बच्चे हो या बड़े -बूढ़े, सभी की जिंदगी बदल चुकी हैं। सरल भाषा में कहा जाये तो इस महामारी ने ज़िन्दगी का महत्त्व समझा दिया हैं।
आइये, जानते है कुछ नई चुनौतियाँ जिनसे अब जनमानस लड़ रहा हैं:
शिक्षण और आर्थिक चुनौतियाँ
कोरोना महामारी का सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों की शिक्षा और देश की आर्थिक व्यवस्था पर पड़ा है। कोरोना काल के दौरान यही सबसे बड़ी चुनौती रही है और अभी भी है। महामारी के दौरान हर चीज की तकनीकी कार्यविधि आ चुकी है। चाहे शिक्षा संबंधी कार्य हो या कार्यालय और व्यापार से संबंधित कार्य हो, हर जगह तकनीक ने अपना घर बना लिया है।
कोरोना काल में आधुनिक तकनीक का उपयोग बढ़ गया है। लॉकडाउन हो जाने के कारण जब सभी लोग घर में बंद हो गए, तो हर चीज कंप्यूटर और मोबाइल पर आ गई है। हर चीज को करने की डिजिटल तकनीक आने लगी है। अब तो सभी लोगों को, चाहे बच्चे हो या बड़े, सभी को तकनीक से रिश्ता जोड़ना पड़ेगा। तकनीकी दुनिया में हर दिन एक नया आविष्कार होता है, या कोई तकनीक आ जाती है। अब यह एक चुनौती हैं जिसे सभी को सीखना होगा।
स्कूल की पढ़ाई भी अब मोबाइल और लैपटॉप पर होने लगी है। आजकल पढ़ाई के लिए किताबों से ज्यादा मोबाइल और लैपटॉप की जरूरत पड़ने लगी हैं , क्योंकि अब सब चीजें इन्टरनेट पर उपलब्ध हैं। हर तरह के काम को आसान करने के लिए कई ऍप्लिकेशन्स बना दी गई हैं। स्कूलों में ना सिर्फ बच्चों के लिए बल्कि टीचर के लिए भी ये ऍप्लिकेशन्स काफी काम की है। इम्तिहान भी अब कंप्यूटर पर होने लगे हैं। लेकिन इससे बच्चों की सेहत पर काफी असर पड़ा है। आधुनिक तकनीक से काम तो आसान हो गया है , लेकिन अब सेहत का काफी ध्यान रखना होगा, यह भी एक चुनौती ही है।
लॉकडाउन के दौरान चाहे निजी कार्यालय हो या सामाजिक, सभी जगह घर से कार्य की सुविधा दे दी गई थी। कई कार्यालयों में अब तक यह सुविधा चल रही है वहीं कई कार्यालय, पहले की तरह शुरू हो चुके है।
परंतु घर से कार्य में कुछ असुविधायें भी है। जो लोग घर से काम करते है, आम तौर पर, उन्हें गर्दन और कमर दर्द की समस्याएँ होती है। साथ ही लोगों से ना मिल पाना भी एक चुनौती है, जरूरत पड़ने पर तुरंत बात नहीं की जा सकती, जो कि एक बहुत बड़ी हानि है काम के प्रति। अब सभी को अपनी सेहत को ध्यान में रख कर काम करने की आवश्यकता है।
अब जब सब कुछ सामान्य होने लगा है, तो अब वक्त है अपनी तकनीकी कुशलता और शिक्षण कुशलता को बढ़ाने का। बहुत कुछ बदल चुका है और इसलिए हमें भी आगे बढ़ना होगा। अब हमें ऑफिस में काम करने और अकेले काम करने के बीच बैलेंस बनाना सीखना होगा। अपनी कार्य शक्ति को जगाना होगा, और नए कौशल सीख कर आगे बढ़ना होगा। हमें अपने व्यक्तित्व को सुधारना होगा जिसके लिए हम आत्म विकास के कोर्सेस कर सकते हैं। नई चीज़ें सीख कर हम अपनी योग्यता बढ़ा सकते है। आने वाले समय में हर नई चीज को सीखने की तत्परता ही हमें सफलता की ओर ले जाएगी।
आर्थिक व्यवस्थाओं पर भी कोरोना का काफी असर पड़ा है. चाहे वो कोई निजी संस्था हो या बैंक, या फिर टूर एंड ट्रैवल कंपनी या ट्रांसपोर्ट, हर बिजनेस ने काफी लॉस पाया है। भारत से बाहर के देशों में फ्लाइट सुविधा बंद होने के कारण, टूर एंड ट्रैवल कंपनी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। लेकिन अब देश और ज़िंदगी पुनः ट्रैक पर आ रही है, उम्मीद करते है ये नया समय, नई खुशियां लेकर आए।
महामारी का राजनीति और धर्म पर असर
कोरोना महामारी की वजह से ही सरकार ने लॉकडाउन का आदेश दिया था। साथ ही धार्मिक स्थानो को भी बंद कर दिया था। आज भी कई जगह पाबंदियां पहले की तरह ही हैं। लेकिन अब कई धर्म स्थाल खुल गए है पर उन्हें पहले जैसी स्थिति में आने में काफी वक्त लगेगा। कई लोगों का कहना है कि जीवन में अनिश्चितता तो बहुत है, तो इस महामारी के बाद हमें जिंदगी नए सिरे से शुरू करनी होगी। धर्म हमेशा प्रचलित रहेगा।
सामाजिक जीवन पर महामारी का प्रभाव
कोरोना के कारण सामाजिक जीवन भी काफी प्रभावित हुआ है। सब कुछ बंद हो जाने और साथ ही दूरियों को बनाए रखने के आदेशों के कारण, सभी लोग आपस में मिलने से कतराने लगे है। अब भी कई लोग इसी प्रोटोकॉल को मान रहे हैं।
इस महामारी की वजह से सबसे ज्यादा प्रभाव अकेले रहने वाले युवाओं और एकल परिवारों पर पड़ा है। अकेले होने की वजह से उन सभी ने अपनी बीमारी का अकेले सामना किया है। इसमें परिवार की महिलाओं पर ज्यादा असर हुआ है। उन्हें घर भी सम्भालना है और साथ ही परिवार भी। और यह काफी चुनौतीपूर्ण काम है। यों तो रोजमर्रा की जिंदगी में भी औरत ही परिवार संभालती है लेकिन इस महामारी के दौर में वो काफी मुश्किल रहा। वहीं जो लोग संयुक्त परिवार में थे , वे एक दूसरे के पास रहे और एक दूसरे का ध्यान रख कर , मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा।
परिवार और मित्रों से ना मिलना, घर में बंद रहने से, कई लोग डिप्रेशन और मानसिक स्वास्थ्य के शिकार भी हुए हैं। साथ ही कई लोगों ने अपने परिवारजनों , मित्रों को खोया है , तो वो भी एक चुनौती ही है , क्योंकि, हमें उनके बिना रहने की आदत नहीं होती।
हालांकि, ऐसे कठिन समय में भी महिलाओं ने ही हिम्मत जुटाई और कई महिलाओं ने पीड़ित लोगों तक खाना पहुँचाया , वहीं दूसरों ने भी ऐसे ही कामों को अपना कर जरूरतमंद लोगों की मदद भी की। यह एक प्रशंसनीय कार्य है।
शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर असर
कोरोना महामारी के बाद, सबसे बड़ी चुनौती जो सामने आई है वो है सेहत।
सेहत है तो ज़िन्दगी खूबसूरत है।
सेहत बनाये रखने के लिए हमें अपने आप कर ध्यान देना चाहिए। कोरोना वायरस अपने कई दुष्प्रभाव छोड़ कर गया है। कोरोना होने के बाद कई लोगों को दूसरी बीमारियों का सामना भी करना पड़ा हैं। यह भी सुनने में आया है कि कई लोगों को दिल से सम्बंधित बीमारियों की शिकायत हुई हैं। इसके अलावा शारीरिक तौर पर भी लोगों में कमज़ोरी पाई गई है। कई लोगों ने खुद में कमज़ोरी महसूस की हैं। हालांकि, हर बीमारी की दवाई हैं, लेकिन ऐसा लगता है की कोरोना का मुख्य साइड इफेक्ट यही है की लोग कमज़ोर हो गए है। कम शब्दों में कहा जाए तो कोरोना कोई ना कोई बीमारी पीछे छोड़ गया है। कोरोना वायरस के बाद खुद पर ध्यान देना ज़रूरी हो गया है। यदि कुछ तकलीफ हो तो डॉक्टर से तुरंत मिलें और समस्या का इलाज करवाएं। कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन होने की वजह से हर चीज तकनीकी हो चुकी है। यहां तक कि कई लोगों ने टेलीहेल्थ को चुन लिया है। उनके लिए वर्चुअल सेटिंग अधिक महत्व रखती है। सुनने में आया है कि 55% लोग वर्चुअल केयर से खुश है। वहीं दूसरी तरफ, डाक्टर और फिजीशियन इस पक्ष में नहीं है, अब तो स्थिति में काफी सुधार आया है और अब सब कुछ सामन्य होने लगा है।
सेहत का सबसे ज्यादा प्रभाव मेंटल हेल्थ पर हुआ है। घरों में बंद रहने के कारण कई लोग, चाहे वो बच्चे हो या बड़े , सभी की मानसिक सेहत पर काफी असर हुआ है। बच्चों को पढ़ाई की चिंता की वजह से , वहीँ माता पिता को सेहत और पढ़ाई, सभी का भय था। आज हालात काफी सुधार गए हैं परंतु, अपने आप का खयाल रखना ही अब खुशियों की चाभी है। एक ही रूटीन का अनुसरण करने से, महामारी के डर की वजह से भी लोग काफी परेशान हुए है। सभी इतने परेशान थे कि अपनी बात किसी और से साझा ना कर सके। मेंटल हेल्थ और डिप्रेशन जैसी समस्याएँ घातक हो सकती है।ऐसे में सभी को एक दूसरे का ख्याल रखने की ज़रूरत है। मन में कोई बात ना रखें, कोई समस्या हो तो अपने घरवालों से, दोस्त या डॉक्टर से ज़रूर बात करें।
कोरोना महामारी अभी तक पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। सुनने में आया है कि एक नया वेरिएंट आ चुका है और सावधानी बरतने जरूरी है। जिंदगी बहुत अप्रत्याशित है, और हमने नई चुनौतियों का सामना करते रहना पड़ेगा। इसी के लिए नई तकनीकों को सीखना ही हमारे हित में है। और सबसे अहम बात यह है कि यदि हम अपने आप पर भरोसा रखें, तो हर मुश्किल को हम पार कर सकते है। इस महामारी ने हमें यह सिखाया है कि जीवन में सहनशीलता और आपसी सहयोग का होना कितना महत्तवपूर्ण है। साथ ही हमें एक दूसरे की मदद करनी चाहिए , तभी हम जिंदगी की चुनौतियों का सामना कर पाएंगे। इस नए समय में हम सभी को निरंतर नई चीज़ें सीखनी पड़ेगी, तभी हम आगे बढ़ सकते है।
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